28 अगस्त 2006

दुल्हन


माथे पे बिंदिया चमक रही

हाथों में मेंहदी महक रही।


शर्माते से इन गालों पर

सूरज सी लाली दमक रही।


खन-खन से करते कॅगन की

आवाज़ मधुर सी चहक रही।


है नये सफर की तैयारी

पैरों में पायल छनक रही।
डॉ० भावना

12 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

kya baat ha Bhawna ji. Aapne to dulhan ki chavi ko shabdon ki door men piro kar usko aur bhi jyada nikhar diya ha. Aapki site padkar bahut achcha laga. Ek arse baad aapki rachnaen padkar maza aa gaya.

Kanupriya

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

मेंहदी, पायल, कंगना, बिंदिया
प्रिय से मिलने को लालायित
लख आतुरतायें इन सबकी
राहें भी हैं आश्चर्यचकित.

Udan Tashtari ने कहा…

सुंदर रचना के लिये बधाई.

बेनामी ने कहा…

भावना कुँअर जी,

कविता और चित्र दोनों ही सुन्दर हैं।

लक्ष्मीनारायण

बेनामी ने कहा…

भावना जी,

आपकी कविता को पढने का अवसर प्राप्त हुआ और संलग्न तस्वीर भी। दोनों ही अच्छी लगी। पुनः अनुभूति में प्रकाशित आपकी रचनाओं को देखा साथ ही आपका "About Me " भी। अच्छे भाव हैं।

बधाई।
शुभकामनाओं सहित
श्यामल सुमन

बेनामी ने कहा…

Ripudaman ji
Bahut Bahut shukriya ki aapko meri rachnayen pasand aai.
Regards
Bhawna Kunwar

अनूप भार्गव ने कहा…

पी के आनें की आहट सुन
कज़रारी अंखियां बहक रही

बेनामी ने कहा…

भावना जी:

सरल और सुन्दर भावों की यह कविता अच्छी लगी ।

अनूप

पी के आनें की आहट सुन
कज़रारी अंखियां बहक रही

बेनामी ने कहा…

Hi,

Hope you must be doing well.

Read all most all of your stuff. You have any other blog or site where you write, I would definitely like to read ?

Regards
Ripudaman Pachauri

बेनामी ने कहा…

Loved your page and poems.
All the best.

Regards

Kiran Puri
kkpuri@shaw.ca
Quesnel, Bc Canada

बेनामी ने कहा…

aap kaa kavyaa parichay padaa aur acchaa bhi laga. kuch kavitayein vishesh roop se acchi lagi hain.

Ripudaman
pachauriripu@yahoo.com

८:०० पूर्वाह्न

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

कनु, राकेश जी, समीर जी, लक्ष्मी जी, श्यामल जी, अनूप जी, रिपुदमन जी, किरण जी आप सबका तहे दिल से शुक्रिया रचना को पसन्द करने के लिये।बहुत बल मिलता है।