मुम्बई में १० जुलाई २००६ को हुए बम ब्लास्ट पर कुछ हाइकुः
तिथि १० जुलाई २००६
मुम्बई शहर में
हुयी बर्बादी।
इन्सान ने ही
उडाई हैं धज्जियाँ
इन्सान की ही।
तेज था बडा
वो बम का धमाका
ट्रेन में आज।
जलती लाशें
रोते लोग दर्द से
असहनीय।
आसमान में
काला सर्प सा धुआँ
फन फैलाए।
दर्दनाक था
सदमें का असर
मिटा ही नहीं।
डॉ० भावना कुँअर
8 टिप्पणियां:
भावनात्मक
हैं हायकू सारे ही
शुभ कामना
सुन्दर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया राकेश जी।
डॉ० भावना
अब क्या कहूँ
कैसे बे-रहम ये
आंतकवादी
दिल है कैसे
इनका सह लेता
जलती लाशें
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http://hykoo.blogspot.com
http://kaviakela.blogspot.com
Bhawana JI,
Aapke sabhi haiku achhe haiN.
Aasman mai
Kala sarp sa dhuaaN
Fan failaye.
Bahut achha haiku hai.
- Santosh Kumar Singh
Santosh Ji
Vastav men bahut dukh hota ha is prakar ke hadson se aatma sihar jati ha---
देखा मजँर
इतना भयानक
आत्मा तडफी ।
hosala afjai ke liye bahut- bahut shukriya.
Dr.Bhawna
hi Bhawna ji
bahut hi acche haikoo han aapke. aapne to sacchai ko web par uttar diya.
aur bhi likhte rahiye.
KANUPRIYA :D
भावना जी नमस्कार,
आपकी मुम्बइ ब्लास्ट वाली किवता , यिद सब ऎसा सोचते तो शायद नजारा कुछ और होता.
धन्यवाद
दूर रहकर भी सोचा अपने देश के बारे में,
यही पहचान है हम भारत वािसयो की.
नरेन्दर
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