नमस्ते भावना जी, दरअसल आपकी कविताओं और भावों कि पसंद मेरे विचारों से काफ़ी मेल खाती है, और मैं आपकी कविताओं को पढ, कर आनंद भी अनुभव करती हूं, यह तो एक सुखद संयोग था कि हिन्दी कविता के ई-ग्रुप में आपसे मुलाकात हुई. हालांकि मै निरंतर ब्लाग नहीं लिख पाती हूं, परंतु जब भी साईट सर्फ़िग करती हूं तो अनायास ही, अपने favourites कि लिस्ट में आप्के ब्लाग को ज़रूर क्लिक करती हूं
भगवान आपकी रचनाधर्मिता को उत्तरोत्तर सफ़लता दे, शुभकामनाएं. -श्रीमति रेणु आहूजा.
4 टिप्पणियां:
जब सीप के मुख में गिरी
तो मोती बन गयी
भावना जी,
आपके, सुंदर काव्य के छीटे
कहते हैं इतना ही:-
बूंद की हुई, लेखनी से प्रीत
छलका, सुंदर सहज गीत.
बहुत सुंदर कविता और चित्र भी है यूं ही लिखती रहिये.
-रेणू आहूजा.
Renu ji
Bahut sundar bavon se sraha ha aapne agar isi trha sahyog milta raha to jarur lekhni chalti rahegi bahut bahut shukriya.
Regards
Bhawna Kunwar
नमस्ते भावना जी,
दरअसल आपकी कविताओं और भावों कि पसंद मेरे विचारों से काफ़ी मेल खाती है, और मैं आपकी कविताओं को पढ, कर आनंद भी अनुभव करती हूं, यह तो एक सुखद संयोग था कि हिन्दी कविता के ई-ग्रुप में आपसे मुलाकात हुई.
हालांकि मै निरंतर ब्लाग नहीं लिख पाती हूं, परंतु जब भी साईट सर्फ़िग करती हूं तो अनायास ही, अपने favourites कि लिस्ट में आप्के ब्लाग को ज़रूर क्लिक करती हूं
भगवान आपकी रचनाधर्मिता को उत्तरोत्तर सफ़लता दे,
शुभकामनाएं.
-श्रीमति रेणु आहूजा.
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