bhn bhaavna ji aapne aankhon ke niche syaah dhbbon ko jis andaaz men alfaazon men piroyaa he vah bhyi vaah mzaa aa gyaa laa jvaab andaaz he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
पसंद आया ये अकेलापन। आपकी यह क्षणीका बहुत सारगर्भित है , मैं इतना ही कहना चाहूँगा -हर अँधेरे को है पता नही है उसकी गुज़र अँधेरों में। उसे भी चाहिए किसी नूर-ए -चश्म का उजाला; उनको भी चाहिए प्यार की रोशनी ! कहाँ जाएँ वे ? इस बेरहम दुनिया में; इसीलिए ठहर गए हैं आकर आँखों के पास ताकि इनसे झरती रौशनी उन्हें मिल सके उनके अँधेरों को भी उजाला मिल सके । -रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
वाकई अच्छा प्रयोग किया है आपने आँखों के नीचे के स्याह धब्बों और सूनेपन के रिश्तों का .. चिंतन शील रचना है. - विजय तिवारी 'किसलय' जबलपुर हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
17 टिप्पणियां:
Kitna dard simat aayaa hai in chand panktiyon me!
bhn bhaavna ji aapne aankhon ke niche syaah dhbbon ko jis andaaz men alfaazon men piroyaa he vah bhyi vaah mzaa aa gyaa laa jvaab andaaz he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
akelapan kuch aisa hi hota hai...
bahut marmik hai
इन काले स्याह धबों को तुम हटा देना...
जब अकेलापन हो , मुस्कुरा देना.
बहुत गहरी बात ....
ये अकेलेपन के साथी हैं ... उम्र भर साथ देंगे ....
बहुत अच्छी प्रस्तुति
कविता लघु है लेकिन भाव विशाल हैं।
आँखों के नीचे
दो काले स्याह धब्बे ...
आकर ठहर गए
और नाम ही नहीं लेते जाने का...
न जाने क्यों उनको
पसंद आया ये अकेलापन।
आपकी यह क्षणीका बहुत सारगर्भित है , मैं इतना ही कहना चाहूँगा -हर अँधेरे को है पता
नही है
उसकी गुज़र अँधेरों में।
उसे भी चाहिए
किसी नूर-ए -चश्म का उजाला;
उनको भी चाहिए
प्यार की रोशनी !
कहाँ जाएँ वे ?
इस बेरहम दुनिया में;
इसीलिए ठहर गए हैं आकर
आँखों के पास
ताकि इनसे झरती रौशनी
उन्हें मिल सके
उनके अँधेरों को भी
उजाला मिल सके ।
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
ओह!!
बहुत गहन!
भावना जी मर्म को छूती दिलोँ को झकझोरती कविता बधाई
वाकई अच्छा प्रयोग किया है आपने आँखों के नीचे के स्याह धब्बों और सूनेपन के रिश्तों का ..
चिंतन शील रचना है.
- विजय तिवारी 'किसलय'
जबलपुर
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
भावना जी ,
बहुत गहरी बात कही है आपने ....
काले धब्बों से कहो
मिल गया है मुझको
अब शब्दों का सहारा
भीड़ में हूँ या अकेली
अब आना न दोबारा ......
thank you bhawana ji... for your comment.. ..
:-) bas kuch aisi hi hai apni bhi kahani
अच्छे अर्थ निकाले हैं आपने इन धब्बों के। दाग अच्छे हैं।
ek naya geet blog per hai
zindagi mein har shay badal jaati hai
jawani bhudape mein dhal jaati hai
har gam mein khushi dhund lo tum
badduaa bhee duaa mein badal jaati hai - gazal .written by anchul walia
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