14 अक्तूबर 2010

मेरा दर्द कुछ इस तरह भी...
















आँखों के नीचे

दो काले स्याह धब्बे ...

आकर ठहर गए

और नाम ही नहीं लेते जाने का...

न जाने क्यों उनको

पसंद आया ये अकेलापन।





Bhawna

17 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Kitna dard simat aayaa hai in chand panktiyon me!

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bhn bhaavna ji aapne aankhon ke niche syaah dhbbon ko jis andaaz men alfaazon men piroyaa he vah bhyi vaah mzaa aa gyaa laa jvaab andaaz he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

akelapan kuch aisa hi hota hai...
bahut marmik hai

Anand Rathore ने कहा…

इन काले स्याह धबों को तुम हटा देना...
जब अकेलापन हो , मुस्कुरा देना.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत गहरी बात ....
ये अकेलेपन के साथी हैं ... उम्र भर साथ देंगे ....

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

कविता लघु है लेकिन भाव विशाल हैं।

सहज साहित्य ने कहा…

आँखों के नीचे

दो काले स्याह धब्बे ...

आकर ठहर गए

और नाम ही नहीं लेते जाने का...

न जाने क्यों उनको

पसंद आया ये अकेलापन।
आपकी यह क्षणीका बहुत सारगर्भित है , मैं इतना ही कहना चाहूँगा -हर अँधेरे को है पता
नही है
उसकी गुज़र अँधेरों में।
उसे भी चाहिए
किसी नूर-ए -चश्म का उजाला;
उनको भी चाहिए
प्यार की रोशनी !
कहाँ जाएँ वे ?
इस बेरहम दुनिया में;
इसीलिए ठहर गए हैं आकर
आँखों के पास
ताकि इनसे झरती रौशनी
उन्हें मिल सके
उनके अँधेरों को भी
उजाला मिल सके ।
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Udan Tashtari ने कहा…

ओह!!

बहुत गहन!

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भावना जी मर्म को छूती दिलोँ को झकझोरती कविता बधाई

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

वाकई अच्छा प्रयोग किया है आपने आँखों के नीचे के स्याह धब्बों और सूनेपन के रिश्तों का ..
चिंतन शील रचना है.
- विजय तिवारी 'किसलय'
जबलपुर
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर

Shabad shabad ने कहा…

भावना जी ,
बहुत गहरी बात कही है आपने ....
काले धब्बों से कहो
मिल गया है मुझको
अब शब्दों का सहारा
भीड़ में हूँ या अकेली
अब आना न दोबारा ......

Anand Rathore ने कहा…

thank you bhawana ji... for your comment.. ..

श्रद्धा जैन ने कहा…

:-) bas kuch aisi hi hai apni bhi kahani

Rajeysha ने कहा…

अच्‍छे अर्थ नि‍काले हैं आपने इन धब्‍बों के। दाग अच्‍छे हैं।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

ek naya geet blog per hai

Anchul Walia ने कहा…

zindagi mein har shay badal jaati hai
jawani bhudape mein dhal jaati hai

har gam mein khushi dhund lo tum
badduaa bhee duaa mein badal jaati hai - gazal .written by anchul walia