4 सितंबर 2021

“जनाजा”


न मेंहदी सजी
न डोली उठी
न फेरे ही कर पाए
पर देखो आज …
उठा जो जनाजा मेरा
खामोश पलकों में
तेरी ही तस्वीर
लबों में तेरा नाम
जाने क्यूँ
रह-रह कर आए...


© डॉ० भावना कुँअर
Editor👇

डॉ०भावना कुँअर

संपादिका-ऑस्ट्रेलियांचल ई-पत्रिका

6 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेम के रहस्य को कौन जान पाया है ।

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भावपूर्ण , मर्मस्पर्शी सृजन

Manisha Goswami ने कहा…

बहुत ही मार्मिक व हृदय स्पर्शी!
सृजन कभी वक्त निकालकर हमारे ब्लॉग पर भी आने का कष्ट कीजिएगा🙏

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बहुत-बहुत आभार आपका ज्योत्सना जी...

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बहुत-बहुत आभार आपका मनीषा गोस्वामी जी...

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…


बहुत-बहुत आभार आपका संगीता स्वरूप जी...