10 अक्तूबर 2021

नारी/दोहे

बेटी, माँ, पत्नी, बहन, लेती रुप अनूप।
कभी बदरिया जल भरी, कभी गुनगुनी धूप।।
© डॉ० भावना कुँअर
Editor👇














डॉ०भावना कुँअर 
संपादिका-ऑस्ट्रेलियांचल ई-पत्रिका

3 टिप्‍पणियां:

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

बहुत ख़ूब!

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत सुन्दर

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

जितेन्द्र जी, मनोज जी बहुत-बहुत आभार...